Tuesday, 29 September 2015

मदर बोर्ड डाउनलोड करे फ्री में


पिछली कई पोस्टो में मैंने नेट से मदरबोर्ड के ड्राइवर डाउनलोड करने का तरीका बताया हुवा है लेकिन बहुत से लोगो को ये तरीका करने के बाद भी पीसी या लेपटॉप के मदरबोर्ड के ड्राइवर डाउनलोड करने में बहुत सी परेशानी आती है वैसे तो जब भी हम नया पीसी या लेपटॉप लेते है तो उसी के साथ मदरबोर्ड के ड्राइवर की डीवीडी भी दी जाती है लेकिन बहुत से दुकानदार उन डीवीडी को कस्टमर को नहीं देते जिसके कारण बहुत से लोगो को विंडो फॉर्मेट करने के बाद ड्राइवर डालने में परेशानी का सामना करना पड़ता है अगर ड्राइवर की cd पास हो तो कोई परेशानी नहीं आती लेकिन अगर मदरबोर्ड के ड्राइवर पास में नहीं है तो उसे नेट पर सर्च करने में बहुत से लोगो को परेशानी का सामना करना पड़ता है

आज में आप लोगो की इसी परेशानी को दूर करने के लिए आपको एक ऐसी साइट का लिंक दे रहा हु जहा आपको लगभग हर कम्पनी के लेपटॉप डेस्कटॉप प्रिंटर स्कैनर सभी कम्पनी के ड्राइवर एक ही जगह मिल जायेंगे  गूगल पर जाकर आपको अपने पीसी या लेपटॉप के ड्राइवर सर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी
यहाँ  जाकर आप मदर बोर्ड डाउनलोड कर सकते है
            supportdrivers.info   

Sunday, 27 September 2015


 गिलोय के गुण:-

गिलोय (अंग्रेज़ी:टीनोस्पोरा कार्डीफोलिया) की एक बहुवर्षिय लता होती है। इसके पत्ते पान के पत्ते की तरह होते हैं। आयुर्वेद में इसको कई नामों से जाना जाता है यथा अमृता, गुडुची, छिन्नरुहा, चक्रांगी, आदि।[1] 'बहुवर्षायु तथा अमृत के समान गुणकारी होने से इसका नाम अमृता है।' आयुर्वेद साहित्य में इसे ज्वर की महान औषधि माना गया है एवं जीवन्तिका नाम दिया गया है। गिलोय की लता जंगलों, खेतों की मेड़ों, पहाड़ों की चट्टानों आदि स्थानों पर सामान्यतः कुण्डलाकार चढ़ती पाई जाती है। नीम, आम्र के वृक्ष के आस-पास भी यह मिलती है। जिस वृक्ष को यह अपना आधार बनाती है, उसके गुण भी इसमें समाहित रहते हैं। इस दृष्टि से नीम पर चढ़ी गिलोय श्रेष्ठ औषधि मानी जाती है। इसका काण्ड छोटी अंगुली से लेकर अंगूठे जितना मोटा होता है। बहुत पुरानी गिलोय में यह बाहु जैसा मोटा भी हो सकता है। इसमें से स्थान-स्थान पर जड़ें निकलकर नीचे की ओर झूलती रहती हैं। चट्टानों अथवा खेतों की मेड़ों पर जड़ें जमीन में घुसकर अन्य लताओं को जन्म देती हैं।
गिलोय के पौधे
बेल के काण्ड की ऊपरी छाल बहुत पतली, भूरे या धूसर वर्ण की होती है, जिसे हटा देने पर भीतर का हरित मांसल भाग दिखाई देने लगता है। काटने पर अन्तर्भाग चक्राकार दिखाई पड़ता है। पत्ते हृदय के आकार के, खाने के पान जैसे एकान्तर क्रम में व्यवस्थित होते हैं। ये लगभग 2 से 4 इंच तक व्यास के होते हैं। स्निग्ध होते हैं तथा इनमें 7 से 9 नाड़ियाँ होती हैं। पत्र-डण्ठल लगभग 1 से 3 इंच लंबा होता है। फूल ग्रीष्म ऋतु में छोटे-छोटे पीले रंग के गुच्छों में आते हैं। फल भी गुच्छों में ही लगते हैं तथा छोटे मटर के आकार के होते हैं। पकने पर ये रक्त के समान लाल हो जाते हैं। बीज सफेद, चिकने, कुछ टेढ़े, मिर्च के दानों के समान होते हैं। उपयोगी अंग काण्ड है। पत्ते भी प्रयुक्त होते हैं।

ताजे काण्ड की छाल हरे रंग की तथा गूदेदार होती है। उसकी बाहरी त्वचा हल्के भूरे रंग की होती है तथा पतली, कागज के पत्तों के रूप में छूटती है। स्थान-स्थान पर गांठ के समान उभार पाए जाते हैं। सूखने पर यही काण्ड पतला हो जाता है। सूखे काण्ड के छोटे-बड़े टुकड़े बाजार में पाए जाते हैं, जो बेलनाकार लगभग 1 इंच व्यास के होते हैं। इन पर से छाल काष्ठीय भाग से आसानी से पृथक् की जा सकती है। स्वाद में यह तीखी होती है, पर गंध कोई विशेष नहीं होती। पहचान के लिए एक साधारण-सा परीक्षण यह है कि इसके क्वाथ में जब आयोडीन का घोल डाला जाता है तो गहरा नीला रंग हो जाता है। यह इसमें स्टार्च की उपस्थिति का परिचायक है। सामान्यतः इसमें मिलावट कम ही होती है, पर सही पहचान अनिवार्य है। कन्द गुडूची व एक असामी प्रजाति इसकी अन्य जातियों की औषधियाँ हैं, जिनके गुण अलग-अलग होते हैं।

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...